Thursday, 23 June 2016

समय बलवान होता है

तिनका एक असाह्य, निर्बल
कोने में पडा था अपाहिज.
दुर्भाग्यपर रोता था.चुपचाप
अकेला.अनचाहा,बेदखल.

किसीकी क्रूर आँखें तुच्छता से
उसकी ओर देखती थी-
सरसरी निगाह से.
सुई सी चुभती थी.

थर्राया घबराया डरपोक बेचारा.
वही उसी कोने में सडक के
सड रहा था.

एक दिन उठा प्रभंजन.
जोरदार हवा ने
तिनके को उठाया,शक्ति दी.
फिर तिनकेने कमाल करके दिखाया.
रोबिली आँखों को सबक सिखाया.
गरूर उसका मिटाया.

हवा के साथ उठ गया.उन्मत्त आँखों में.
धँस गया.
रोशनी छिन गई.वाहियाद आँखों की
शक्ति खो गई. मल मल हैरान-
तिनका चुभता गया.अंदर ही अंदर
घुलता गया.

जिंदगीभर रोनेवाला,डरनेवाला
साथ मिलते ही निर्भय हो बेदर्दी को
जी भर रुलाता रहा.
रोबिली आँखें कराहती रही
बदकिस्मतीपर आँसू बहाती रही.

समय बलवान होता है.
एक न् एक दिन दुर्बल भी
बलवान होता है.
कोई न् कोई सहारा दे,हिम्मत दे
उसे ऊँचा उठाता है,गति देता है,
जोर बढता है.
कमजोर ताकतवर बनता है.
आसमान छूने लगता है.
सितारे गिनने लगता है.

1 comment:

  1. एक न एक दिन दुर्बल भी बलवान होता है.
    कमजोर ताकतवर बनता है.आसमान छूने लगता
    है.सितारे गिनने लगता है.
    पूर्ण कविता ब्लॉगपर देखे

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