जख्म अभी हरे है,भरे नहीं
मरहमपट्टी होती रही,
हो रही सदियोंसे
घावअनेक गहरे है.
गंभीर है
बेचारे,दीन,गरीब,लाचार
लानत भरी जिंदगी
जी रहे
व्यथाएँ पुरानी दर्दनाक
आहे अनगिनत,अपरिमित
अनबूझ प्यास बुझी नहीं
रोना रो रहे,बस् यूँही जी रहे
रोजमर्रा हजार बार
मरकरभी ठंडी सॉंसे ले रहे
शोर है मातम है
अर्थी अभी उठी नहीं
उठती नहीं
शांति,अमन,चैन,खुशहाली के
झुटे सपन देखते देखते
निश्चेतन,निष्प्राण हुए नयन
खुलते नहीं,खिलते नहीं
मरहमपट्टी होती रही,
हो रही सदियोंसे
घावअनेक गहरे है.
गंभीर है
बेचारे,दीन,गरीब,लाचार
लानत भरी जिंदगी
जी रहे
व्यथाएँ पुरानी दर्दनाक
आहे अनगिनत,अपरिमित
अनबूझ प्यास बुझी नहीं
रोना रो रहे,बस् यूँही जी रहे
रोजमर्रा हजार बार
मरकरभी ठंडी सॉंसे ले रहे
शोर है मातम है
अर्थी अभी उठी नहीं
उठती नहीं
शांति,अमन,चैन,खुशहाली के
झुटे सपन देखते देखते
निश्चेतन,निष्प्राण हुए नयन
खुलते नहीं,खिलते नहीं
गरीब ,दीन लाचार सदियोंसे केवल
ReplyDeleteखुशहाली,अमन,चैन शांति के झूटे
सपन ही देख रहे है.