Tuesday, 21 June 2016

शब्द

लच्छेदार,प्यारभरे.लुभावने
शब्दों में उलझाकर
किसीको धोखा देना
आसान है.
बार बार निरे, खोखले,
आडंबरपूर्ण शब्दों से
लोगों को लुभाना
भूल है.
एक न् एक दिन
पोल खुलती है.
तब
आरजू,मिन्नते
मानी नहीं रखते.
ऑंखोंसे अंगारे,
हृदय से आहें,
ओठों से अनाप,शनाप,
जहरीले,जोरदार,
भडकानेवाले,बेहया,बेरहम
शब्द जन्म लेते है
धडल्ले से.
अनगिनत वादों को
याद वे दिलाते है.
शब्दों से प्रेरणा ले
बदला लेने की भावना से
हजारों हिंस्र् हाथ उठते है.
रक्तपात होता है,
वज्रप्रहार होता है
विध्वंस होता है
विनाश होता है.
फिर पुनः
शब्दों का सहारा ले
नये शासन का,
नये युग का,
नये समाज का
सूत्रपात होता है

1 comment:

  1. फिर पुनः
    शब्दों का सहारा ले
    नये शासन का,नयेयुग का,
    नये समाज का सूत्रपात होता है.

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